खाटूश्यामजी से.खाटू नगरी। आबादी महज दस हजार। मेले के वक्त यहां इकट्ठा होते हैं लाखों श्रद्धालु। मेले के समापन तक इनकी संख्या 25 लाख के पार हो जाती है। फिर भी किसी भी भक्त को शिकायत नहीं और पांच सैकंड के लिए बाबा के दर्शन होने पर मन में बड़ी खुशी।
दस हजार आबादी की सुविधाओं पर 25 लाख की संतुष्टि ऐसे ही नहीं होती। इसके पीछे पूरा मैनेजमेंट फंडा अपनाया जाता है। चार महीने पहले ही मेले की तैयारियां शुरू कर दी जाती है। इस मैनेजमेंट को समझने के लिए दैनिक भास्कर ने मंदिर कमेटी, श्याम भक्त, स्थानीय लोग व प्रशासनिक अधिकारियों से बातचीत की। पढ़िए पूरी रिपोर्ट।
सात घंटे तक लाइन में फिर भी थकावट क्यों नहीं?
मंदिर तक पहुंचने में छह लाइनें व सात घंटे का वक्त लगता है। और एक मिनट में ग्यारस पर 400 श्रद्धालु बाबा के दर्शन करते हैं। थकावट नहीं होने व जोश बने की रहने की बड़ी वजह बाबा के दर्शनों की अभिलाषा है। यह मैनेजमेंट की भाषा में लक्ष्य है। वहीं श्याम सेवक भजनों व जयकारों के बीच हौसला बढ़ाते हैं।
रींगस से खाटू सिंहद्वार क्यों?
यहां एक मिनट में एक हजार से अधिक श्रद्धालु प्रवेश करते हैं। जयपुर या फिर देश के अन्य कोनों से आने वाले श्रद्धालु यहां आकर एक ही परिवार की तरह जुट जाते हैं। श्रद्धालुओं के अपने मैनेजमेंट में वे लाइन को कभी नहीं तोड़ते। रींगस से खाटू तक का मार्ग 16 किमी का है।
समय प्रबंधन भी इस बार अपनाया क्यों?
इस बार भीड़ बढ़ती देख मेला पांच दिन का किया गया है। मंदिर 24 घंटे खुला रखा जा रहा है। यह सबकुछ समय प्रबंधन का हिस्सा है ताकि भीड़ रुके नहीं सिर्फ चलती जाए।
कैसे मुहैया होता है लाखों को पानी?
इस बार 50 लाख पाउच व छह-सात ट्रक पानी की बोतल मंगवाई गई है। पाउच पैकिंग के लिए मंदिर परिसर में मशीन है। आठ-दस जगह से सप्लाई की लाइन से कनेक्शन लेकर 3-3 हजार लीटर की टंकियां रखी गई है। करीब 20 टैंकर हैं। सप्लाई बिजली गुल होने से बाधित न हो, इसके लिए जलदाय महकमे को कमेटी की तरफ से जनरेटर दिए हैं।
लाइनों में कैसे बनी रहती है व्यवस्था?
लाइनों में श्रद्धालुओं को पानी के पाउच से लेकर ज्यूस, नाश्ता आदि तक मुहैया करवाया जाता है। चार किमी दूर तक स्क्रीन लगाई गई है ताकि पता रहे कि अभी मंदिर में कितनी भीड़ है।
श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरण
मंदिर में पहले से ही प्रसाद थैलियों में पैक कर रख दिया जाता है। प्रसाद बनाने से लेकर पैकिंग करने व भक्तों को देने में ही 600 लोग लगे हैं।
मंदिर के पास कैसे तेज हो जाते हैं कदम?
मंदिर के द्वार पर आधा दर्जन से ज्यादा कमेटी के लोग खड़े रहते हैं। ये बाबा के जयघोष के साथ जल्द अंदर घुसने के लिए कहते हैं। भीड़ कंट्रोल करने के लिए हर कदम पर पांच स्वयंसेवक है।
अनुमानित श्रद्धालुओं की संख्या भी पहले क्यों होती है तय?
कमेटी मेले से कुछ महीनों पहले ही एकादशी पर आने वाले श्रद्धालुओं से उनके मंडलों की तैयारी के बारे जानती है। सर्वे कर लेते हैं कि कितने श्रद्धालु आने की उम्मीद है।
घर-घर में मेहमान, फिर भी सबको सुविधा
मेले के दौरान चार-पांच दिन हर घर में मेहमान आते हैं। इसलिए इन्हें पूरी व्यवस्था पहले करनी पड़ती है। यहां रहने वाले मुरारी सोनी बताते हैं कि पांच दिन में औसत हर घर में 30 से 70 मेहमान आ रहे हैं।
ढाई लाख ने नवाया ‘शीशदानी’ के शीश
खाटू बाबा का फाल्गुन मेला गुरुवार को परवान पर चढ़ा। श्रद्धा में डूबे हाथों में निशान लिए बाबा के धाम की तरफ कदम बढ़ाते भक्त। कदम-कदम पर डीजे पर बजते बाबा के भजन और फाल्गुन की मस्ती में गुलाल उड़ाकर झूमते श्रद्धालु। मेले के पहले ही दिन कुछ इसी प्रकार ढाई लाख श्रद्धालुओं ने बाबा के धाम पहुंच मत्था टेका। पांच दिनों तक चलने वाले इस मेले से खाटू नगरी की हर गली ही नहीं बल्कि दूर तक हाथों में ध्वजा लिए केवल श्रद्धालु ही नजर आ रहे हैं।
हर कोई जल्द ही बाबा के दर्शन करना चाहता है। पैरों में छाले और थकान बाबा के द्वार के नजदीक पहुंचते-पहुंचते दूर हो रही है। क्योंकि जैसे-जैसे कदम आगे बढ़ रहे हैं श्रद्धालुओं का उत्साह बढ़ता जा रहा है। अनवरत भीड़ लगातार दर्शन कर रही है। घंटों लाइन में लगने के बाद भी बजाए धक्का मुक्की के एक-दूसरे को आगे बढ़ा रहे हैं। दूर दराज से आने वाले पदयात्रियों की सेवा करने वालों की भी कमी नहीं है। हर दस कदम पर भंडारे लगे हैं तो सेवादार सेवा में लगे हैं।
76 हजार श्रद्घालु आ रहे है रेल से
बाबा श्याम के लक्खी मेले में आने वाले करीब 76 हजार श्रद्घालु यात्री रेलगाड़ियों से पहुंच रहे है। रेलवे स्टेशन अधीक्षक गौरीशंकर मीणा ने बताया कि ब्रॉडगेज पर 6 मेला स्पेशल सहित 18 यात्री रेलगाड़ियां चल रही है। इसी तरह मीटर गेज पर दो मेला स्पेशल सहित 20 यात्री रेलगाड़ियां चल रही है। दोनों ट्रेक पर कुल 38 गाड़ियां चल रही है। एक गाड़ी में करीब 2 हजार श्रद्घालु पहुंच रहे हैं। खाटूश्यामजी जाने वाले श्रद्घालु खाटूश्यामजी मोड़ पर बने तोरण द्घार पर धोक लगाकर आगे बढ़ रहे है।
स्वास्थ्य कैंप शुरू
मेले में श्रद्धालुओं के लिए स्वास्थ्य कैंप भी शुरू कर दिए गए हैं। इन कैंपों में स्वास्थ्य विभाग द्वारा दवा उपलब्ध कराई गई है।
21 किलो चांदी की ध्वजा, सोने का हार व लड्डू गोपाल
बाबा के भक्त भी निराले हैं। कोई सोने का हार लेकर आ रहा है तो कोई चांदी की ध्वजा। हाथों में सोने के लड्डू गोपाल लिए पदयात्रा करने वाले श्रद्धालुओं की भी कोई कमी नहीं है। गुरुवार को छत्तीसगढ़ से आए श्रद्धालुओं ने बाबा को 21 किलो चांदी से बना ध्वजा चढ़ाई। छत्तीसगढ़ के श्याम चेरिटेबल ट्रस्ट के 500 श्रद्धालु पहुंचे हैं। यह जत्था यहां आने वाले अन्य श्रद्धालुओं के भोजन की व्यवस्था भी करेगा। शुक्रवार को कोलकाता से आए श्रद्धालु सुबह नौ बजे सोने से बना हार चढ़ाएंगे। मेले में ऐसे श्रद्धालुओं की भी कमी नहीं है जो हाथों में लड्डू गोपाल लिए बाबा के दरबार की तरफ बढ़ रहे हैं। ऐसे ही जयपुर से आए सुधांशु गौतम हाथ में लड्डू गोपाल लेकर आए हैं।