जब जब याद करूँ,
मेरे नैना भर भर आते है,
खाटू के वो नज़ारे,
बड़े याद आते है।।
तर्ज – छुप गए सारे नज़ारे।
तूने बुलाया तो ,
खाटू मैं आया,
दर्शन तेरे पाया,
दर्शन पाके,
लगा मुझे ऐसा,
सब कुछ तुझमे समाया,
सारी दुनिया भी तेरे आगे,
छोटी हो गई,
जिंदगानी हमारी,
तेरी कोठी हो गई,
अब क्यों अपने बेटे को,
इतना तड़पाते है,
खाटु के वो नज़ारें,
बड़े याद आते है।।
दिल से भुलाया,
क्यों मुझको रुलाया,
मेरे समझ ना आया,
ठुकराना ही था गर तुमको,
काहे को अपना बनाया,
बाबा इतना बताओ,
क्या भूल हो गई,
तेरी खाटू नगरिया,
क्यों दूर हो गई,
अपने दिल को बार बार,
हम तो समझाते है,
खाटु के वो नज़ारे,
बड़े याद आते है।।
अब तो बुलाओ,
गले से लगाओ,
क्षमा करो मेरी गलती,
किस्मत वालों को,
ही मेरे बाबा,
चरण धूलि है मिलती,
तेरे ‘श्याम’ का बस,
ये काम कर दो,
दे के दर्शन,
गरीब की झोली भर दो,
अपने दिल की बातें,
दिलबर को सुनाते है,
खाटु के वो नज़ारे,
बड़े याद आते है।।
जब जब याद करूँ,
मेरे नैना भर भर आते है,
खाटू के वो नज़ारे,
बड़े याद आते है।।