खाटू श्याम जी का चालीसा (khatu shyam chalisa with lyrics)
दोहा
श्री गुरु चरण ध्यान धर, सुमिरि सच्चिदानन्द।
श्याम चालीसा भजत हूँ, रच चैपाई छन्द।।
चौपाई
श्याम श्याम भजि बारम्बारा,सहज ही हो भवसागर पारा।
इन सम देव न दूजा कोई, दीन दयालु न दाता होई।
भीमसुपुत्र अहिलवती जाया, कहीं भीम का पौत्र कहाया।
यह सब कथा सही कल्पान्तर, तनिक न मानों इनमें अन्तर।
बर्बरीक विष्णु अवतारा, भक्तन हेतु मनुज तनु धारा।
वसुदेव देवकी प्यारे, यशुमति मैया नन्द दुलारे।
मधुसूदन गोपाल मुरारी, बृजकिशोर गोवर्धन धारी।
सियाराम श्री हरि गोविन्दा, दीनपाल श्री बाल मुकुन्दा।
दामोदर रणछोड़ बिहारी, नाथ द्वारिकाधीश खरारी।
नरहरि रूप प्रहलद प्यारा, खम्भ फारि हिरनाकुश मारा।
राधा वल्लभ रुक्मिणी कंता, गोपी बल्लभ कंस हनंता।
मनमोहन चितचोर कहाये, माखन चोरि चोरि कर खाये।
मुरलीधर यदुपति घनश्याम, कृष्ण पतितपावन अभिराम।
मायापति लक्ष्मीपति ईसा, पुरुषोत्तम केशव जगदीशा।
विश्वपति त्रिभुवन उजियारा, दीनबन्धु भक्तन रखवारा।
प्रभु का भेद कोई न पाया, शेष महेश थके मुनियारा।
नारद शारद ऋषि योगिन्दर, श्याम श्याम सब रटत निरन्तर।
कवि कोविद करि सके न गिनन्ता, नाम अपार अथाह अनन्ता।
हर सृष्टि हर युग में भाई, ले अवतार भक्त सुखदाई।
हृदय माँहि करि देखु विचारा, श्याम भजे तो हो निस्तारा।
कीर पड़ावत गणिका तारी, भीलनी की भक्ति बलिहारी।
सती अहिल्या गौतम नारी, भई श्राप वश शिला दुखारी।
श्याम चरण रच नित लाई, पहुँची पतिलोक में जाई।
अजामिल अरु सदन कसाई, नाम प्रताप परम गति पाई।
जाके श्याम नाम अधारा, सुख लहहि दुख दूर हो सारा।
श्याम सुलोचन है अति सुन्दर, मोर मुकुट सिर तन पीताम्बर।
गल वैजयन्तिमाल सुहाई, छवि अनूप भक्तन मन भाई।
श्याम श्याम सुमिरहुं दिनराती, शाम दुपहरि अरु परभाती।
श्याम सारथी सिके रथ के, रोड़े दूर होय उस पथ के।
श्याम भक्त न कहीं पर हारा, भीर परि तब श्याम पुकारा।
रसना श्याम नाम पी ले, जी ले श्याम नाम के हाले।
संसारी सुख भोग मिलेगा, अन्त श्याम सुख योग मिलेगा।
श्याम प्रभु हैं तन के काले, मन के गोरे भोले भाले।
श्याम संत भक्तन हितकारी, रोग दोष अघ नाशै भारी।
प्रेम सहित जे नाम पुकारा, भक्त लगत श्याम को प्यारा।
खाटू में है मथुरा वासी, पार ब्रह्म पूरण अविनासी।
सुधा तान भरि मुरली बजाई, चहुं दिशि नाना जहाँ सुनि पाई।
वृद्ध बाल जेते नारी नर, मुग्ध भये सुनि वंशी के स्वर।
दौड़ दौड़ पहुँचे सब जाई, खाटू में जहाँ श्याम कन्हाई।
जिसने श्याम स्वरूप निहारा, भव भय से पाया छुटकारा।
राजस्थान के सीकर में खाटू श्याम का मंदिर, भारत में कृष्ण भगवान के मंदिरों में सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है। खाटू श्याम जी को कलियुग का सबसे फेमस भगवान माना जाता है। सीकर जिले में स्थित खाटू गांव में बने खाटू श्यान के मंदिर को काफी मान्यता मिलती है। ऐसा कहा जाता है कि श्याम बाबा से भक्त जो भी मांगता है, वो उन्हें लाखों-करोड़ों बार देते हैं, यही वजह है कि खाटू श्याम को लखदातार के नाम से जाना जाता है। हिन्दू धर्म के अनुसार खाटू श्याम को कलियुग में कृष्ण का अवतार माना जाता है। चलिए आज हम आपको खाटू श्याम मंदिर के बारे में कुछ दिलचस्प बातें बताते हैं।
बर्बरीक या खाटू श्याम कौन हैं - Who is Barbarik or Khatu Shyam
बाबा खाटू श्याम का संबंध महाभारत काल से है। ये पांडुपुत्र भीम के पोते थे। ऐसा कहा जाता है कि खाटू श्याम की शक्तियों और क्षमता से खुश होकर श्री कृष्ण ने इन्हें कलियुग में अपने नाम से पूजने का वरदान दे डाला था।
खाटूश्यामजी की कहानी - Story of Khatushyamji
वनवास के दौरान, जब पांडव अपनी जान बचाते हुए इधर-उधर घूम रहे थे, तब भीम का सामना हिडिम्बा से हुआ। हिडिम्बा ने भीम से एक पुत्र को जन्म दिया जिसे घटोखा कहा जाता था। घटोखा से पुत्र हुआ बर्बरीक। इन दोनों को अपनी वीरता और शक्तियों के लिए जाना जाता था। जब कौरव और पांडवों के बीच युद्ध होना था, तब बर्बरीक ने युद्ध देखने का निर्णेय लिया था। श्री कृष्ण ने जब उनसे पूछा कि वो युद्ध में किसकी तरफ हैं, तब उन्होंने कहा था कि जो पक्ष हारेगा वो उसकी तरफ से लड़ेंगे। ऐसे में श्री कृष्ण युद्ध का परिणाम जानते थे और उन्हें डर था कि ये कहीं पांडवों के लिए उल्टा न पड़ जाए। ऐसे में कृष्ण जी ने बर्बरीक को रोकने के लिए दान की मांग की। दान में उन्होंने उनसे शीश मांग लिया। दान में बर्बरीक ने उनको शीश दे दिया, लेकिन आखिर तक उन्होंने अपनी आंखों से युद्ध देखने की इच्छा जाहिर की।
श्री कृष्ण ने इच्छा स्वीकार करते हुए उनका सिर युद्ध वाली जगह पर एक पहाड़ी पर रख दिया। युद्ध के बाद पांडव लड़ने लगे कि जीत का श्रेय किसको जाता है, इसमें बर्बरीक कहते हैं कि श्री कृष्ण की वजह से उन्हें जीत हासिल हुई है। श्री कृष्ण इस बलिदान से काफी खुश हुए और उन्हें कलियुग में श्याम के नाम से पूजे जाने का वरदान दे दिया।
कैसे हुआ खाटू श्याम मंदिर का निर्माण - How Khatu Shyam Temple was built
ऐसा कहा जाता है कि कलयुग की शुरुआत में राजस्थान के खाटू गांव में उनका सिर मिला था। कहते हैं ये अद्भुत घटना तब घटी जब वहां खड़ी गाय के थन से अपने आप दूध बहने लगा था। इस चमत्कारिक घटना को जब खोदा गया तो यहां खाटू श्याम जी का सिर मिला। अब लोगों के बीच में ये दुविधा शुरू हो गई कि इस सिर का किया जाए। बाद में उन्होंने सर्वसम्मति से एक पुजारी को सिर सौंपने का फैसला किया। इसी बीच क्षेत्र के तत्कालीन शासक रूप सिंह को मंदिर बनवाने का सपना आया। इस प्रकार रूप सिंह चौहान के कहने पर इस जगह पर मंदिर निर्माण शुरू किया गया और खाटूश्याम की मूर्ति स्थापित की गई।
खाटू श्याम मंदिर की वास्तुकला - Architecture of Khatu Shyam Temple
1027 ई. में रूप सिंह द्वारा बनाए गए मंदिर को मुख्य रूप से एक भक्त द्वारा मॉडिफाई किया गया था। दीवान अभय सिंह ने 1720 ई. में इसका पुनिर्माण कराया था। इस प्रकार मूर्ति को मंदिर के मुख्य गर्भगृह में स्थापित किया गया। मंदिर का निर्माण पत्थरों और संगमरमर का उपयोग करके किया गया है। द्वार सोने की पत्ती से सुशोभित है। मंदिर के बाहर जगमोहन के नाम से जाना जाने वाला प्रार्थना कक्ष भी है।
खाटू श्याम कैसे पहुंचे - How to reach Khatu Shyam
खाटू श्याम का मंदिर जयपुर से 80 किमी दूर खाटू गांव में मौजूद है। खाटू श्याम जी पहुंचने के लिए सबसे पास का रेलवे स्टेशन रिंगस है। जहां से बाबा के मंदिर की दूरी 18.5 किमी है। रेलवे स्टेशन से निकलने के बाद आपको मंदिर के लिए टैक्सी और जीप ले सकते हैं। अगर आप फ्लाइट से जा रहे हैं, तो सबसे नजदीकी एयरपोर्ट जयपुर इंटरनेशनल एयरपोर्ट है। यहां से मंदिर की दूरी 95 किमी है। अगर आप दिल्ली से बाय रोड खाटू श्याम मंदिर जा रहे हैं, तो आपको पहुंचने में करीबन 4 से 5 घंटे का समय लगेगा।
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The Khatu Shyam temple in Sikar, Rajasthan is the most famous of the temples of Lord Krishna in India. Khatu Shyam ji is considered to be the most famous God of Kali Yuga. The temple of Khatu Shyan, built in Khatu village located in Sikar district, gets a lot of recognition. It is said that whatever the devotee asks for from Shyam Baba, he gives them lakhs and crores of times, which is why Khatu Shyam is known as Lakhdataar. According to Hindu religion, Khatu Shyam is considered to be an incarnation of Krishna in Kali Yuga. Let us tell you some interesting things about Khatu Shyam Temple today.
Who is Barbarik or Khatu Shyam
Baba Khatu Shyam is related to Mahabharata period. He was the grandson of Panduputra Bhima. It is said that pleased with the powers and abilities of Khatu Shyam, Shri Krishna granted him the boon of worshiping him in his name in Kali Yuga.
Story of Khatushyamji
During the exile, while the Pandavas were roaming around saving their lives, Bhima encountered Hidimba. Hidimba gave birth to a son from Bhima who was called Ghatokha. Barbarik was the son of Ghatokha. Both of them were known for their valor and powers. When there was to be a war between the Kauravas and the Pandavas, Barbarik decided to watch the war. When Shri Krishna asked him on whose side he was in the war, he had said that the side that loses will fight on his side. In such a situation, Shri Krishna knew the result of the war and he was afraid that it might backfire for the Pandavas. In such a situation, Krishna ji demanded a donation to stop Barbarik. In charity, he asked for a head from him. In charity, Barbarik gave him his head, but till the end he expressed his desire to see the war with his own eyes.
Accepting the wish, Shri Krishna placed his head on a hill at the battle site. After the war, the Pandavas started fighting as to whom the credit for the victory goes, in which Barbarika says that they have won because of Shri Krishna. Shri Krishna was very pleased with this sacrifice and granted him a boon to be worshiped in the name of Shyam in Kali Yuga.
How Khatu Shyam Temple was built
It is said that his head was found in Khatu village of Rajasthan at the beginning of Kali Yuga. It is said that this wonderful incident happened when milk started flowing on its own from the udder of the cow standing there. When this miraculous incident was excavated, Khatu Shyam's head was found here. Now this dilemma has started among the people that this head should be done. Later they unanimously decided to hand over the head to a priest. Meanwhile, the then ruler of the region, Roop Singh, had a dream of building a temple. Thus, at the behest of Roop Singh Chauhan, the construction of the temple was started at this place and the idol of Khatushyam was installed.
Architecture of Khatu Shyam Temple
The temple built by Roop Singh in 1027 AD was mainly modified by a devotee. Diwan Abhay Singh had it renovated in 1720 AD. Thus the idol was placed in the main sanctum sanctorum of the temple. The temple has been constructed using stones and marble. The door is decorated with gold leaf. There is also a prayer hall known as Jagmohan outside the temple.
How to reach Khatu Shyam
The temple of Khatu Shyam is present in Khatu village, 80 km from Jaipur. The nearest railway station to reach Khatu Shyam Ji is Ringas. From where the distance of Baba's temple is 18.5 km. After leaving the railway station, you can take a taxi and jeep to the temple. If you are going by flight, then the nearest airport is Jaipur International Airport. The distance of the temple from here is 95 km. If you are going from Delhi to By Road Khatu Shyam Mandir, then it will take you about 4 to 5 hours to reach.
खाटू श्याम को भगवान श्री कृष्ण के कलयुगी अवतार के रूप में जाना जाता है। ऐसा कहे जाने के पीछे एक पौराणिक कथा है। राजस्थान के सीकर जिले में इनका भव्य मंदिर स्थित जहां हर साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। लोगों का विश्वास है कि बाबा श्याम सभी की मुरादें पूरी करते हैं और रंक को भी राजा बना सकते हैं।
कौन हैं बाबा खाटू श्याम
बाबा खाटू श्याम का संबंध महाभारत काल से माना जाता है। यह पांडुपुत्र भीम के पौत्र थे। ऐसी कथा है कि खाटू श्याम की अपार शक्ति और क्षमता से प्रभावित होकर श्रीकृष्ण ने इन्हें कलियुग में अपने नाम से पूजे जाने का वरदान दिया।
खाटू श्याम की कथा
लाक्षागृह की घटना में प्राण बचाकर वन-वन भटकते पांडवों की मुलाकात हिडिंबा नाम की राक्षसी से हुआ। यह भीम को पति रूप में प्राप्त करना चाहती थी। माता कुंती की आज्ञा से भीम और हिडिंबा का विवाह हुआ जिससे घटोत्कच का जन्म हुआ। घटोत्कच का पुत्र हुआ बर्बरीक जो अपने पिता से भी शक्तिशाली और मायाबी था।
– बर्बरीक देवी का उपासक था। देवी के वरदान से उसे तीन दिव्य बाण प्राप्त हुए थे जो अपने लक्ष्य को भेदकर वापस लौट आते थे। इनकी वजह से बर्बरीक अजेय हो गया था।
-महाभारत के युद्ध के दौरान बर्बरीक युद्ध देखने के इरादे से कुरुक्षेत्र आ रहा था। श्रीकृष्ण जानते थे कि अगर बर्बरीक युद्ध में शामिल हुआ तो परिणाम पाण्डवों के विरुद्ध होगा। बर्बरीक को रोकने के लिए श्री कृष्ण गरीब ब्राह्मण बनकर बर्बरीक के सामने आए। अनजान बनते हुए श्रीकृष्ण ने बर्बरीक से पूछ कि तुम कौन हो और कुरुक्षेत्र क्यों जा रहे हो। जवाब में बर्बरीक ने बताया कि वह एक दानी योद्धा है जो अपने एक बाण से ही महाभारत युद्ध का निर्णय कर सकता है। श्री कृष्ण ने उसकी परीक्षी लेनी चाही तो उसने एक बाण चलाया जिससे पीपल के पेड़ के सारे पत्तों में छेद हो गया। एक पत्ता श्रीकृष्ण के पैर के नीचे था इसलिए बाण पैर के ऊपर ठहर गया।
– श्रीकृष्ण बर्बरीक की क्षमता से हैरान थे और किसी भी तरह से उसे युद्ध में भाग लेने से रोकना चाहते थे। इसके लिए श्रीकृष्ण ने बर्बरीक से कहा कि तुम तो बड़े पराक्रमी हो मुझ गरीब को कुछ दान नहीं दोगे। बर्बरीक ने जब दान मांगने के लिए कहा तो श्रीकृष्ण ने बर्बरीक से उसका शीश मांग लिया। बर्बरीक समझ गया कि यह ब्राह्मण नहीं कोई और है और वास्तविक परिचय देने के लिए कहा। श्रीकृष्ण ने अपना वास्तविक परिचय दिया तो बर्बरीक ने खुशी-खुशी शीश दान देना स्वीकर कर लिया।
-रात भर भजन-पूजन कर फाल्गुन शुक्ल द्वादशी को स्नान पूजा करके, बर्बरीक ने अपने हाथ से अपना शीश श्री कृष्ण को दान कर दिया। शीश दान से पहले बर्बरिक ने श्रीकृष्ण से युद्ध देखने की इच्छा जताई थी इसलिए श्री कृष्ण ने बर्बरीक के कटे शीश को युद्ध अवलोकन के लिए, एक ऊंचे स्थान पर स्थापित कर दिया।
-युद्ध में विजय श्री प्राप्त होने पर पांडव विजय का श्रेय लेने हेतु वाद-विवाद कर रहे थे। तब श्रीकृष्ण ने कहा की इसका निर्णय बर्बरीक का शीश कर सकता है। बर्बरीक के शीश ने बताया कि युद्ध में श्री कृष्ण का सुदर्शन चक्र चल रहा था जिससे कटे हुए वृक्ष की तरह योद्धा रणभूमि में गिर रहे थे। द्रौपदी महाकाली के रूप में रक्त पान कर रही थीं।
-श्री कृष्ण ने प्रसन्न होकर बर्बरीक के उस कटे सिर को वरदान दिया कि कलयुग में तुम मेरे श्याम नाम से पूजित होगे तुम्हारे स्मरण मात्र से ही भक्तों का कल्याण होगा और धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष की प्राप्ति होगी।
स्वप्न दर्शनोंपरांत बाबा श्याम, खाटू धाम में स्थित श्याम कुण्ड से प्रकट हुए थे। श्री कृष्ण विराट शालिग्राम रूप में सम्वत् 1777 से खाटू श्याम जी के मंदिर में स्थित होकर भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण कर कर रहे हैं।
हर साल लगता है खाटूश्याम मेला
प्रत्येक वर्ष होली के दौरान खाटू श्यामजी का मेला लगता है। इस मेले में देश-विदेश से भक्तजन बाबा खाटू श्याम जी के दर्शन के लिए आते हैं। इस मंदिर में भक्तों की गहरी आस्था है। बाबा श्याम, हारे का सहारा, लखदातार, खाटूश्याम जी, मोर्विनंदन, खाटू का नरेश और शीश का दानी इन सभी नामों से खाटू श्याम को उनके भक्त पुकारते हैं। खाटूश्याम जी मेले का आकर्षण यहां होने वाली मानव सेवा भी है। बड़े से बड़े घराने के लोग आम आदमी की तरह यहां आकर श्रद्धालुओं की सेवा करते हैं। कहा जाता है ऐसा करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
भक्तों की इस मंदिर में इतनी आस्था है कि वह अपने सुखों का श्रेय उन्हीं को देते हैं। भक्त बताते हैं कि बाबा खाटू श्याम सभी की मुरादें पूरी करते हैं। खाटूधाम में आस लगाने वालों की झोली बाबा खाली नहीं रखते हैं।
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हम तो बाबा के भरोसे चलते हैं,
ये दुनियाँ वाले जलते हैं,
हम तो बाबा के भरोसे चलते हैं।
बाबा ने हमको चलना सिखाया,
बाबा ने हमको चलना सिखाया,
सब भक्तों से मिलना सिखाया,
सब भक्तो से मिलना सिखाया,
हम तो सीना तान निकलते है,
हम तो सीना तान निकलते हैं,
हम तो बाबा के भरोसे चलते हैं।
बाबा हमारा साथी कहाएं,
बाबा हमारा साथी कहाए,
बन के सहारा नाती कहाए,
बन के सहारा नाती कहाएं,
हम तो इनके भरोसे पलते हैं,
हम तो इनके भरोसे पलते है,
हम तो बाबा के भरोसे चलते हैं।
दुनियाँ वाले क्या पहचाने,
दुनिया वाले क्या पहचानें,
श्याम हमारे दिल की जाने,
श्याम हमारे दिल की जाने,
इनके नाम से संकट टलते हैं,
इनके नाम से संकट टलते है,
हम तो बाबा के भरोसे चलते हैं।
दास कन्हैया भजन सुनाए,
दास कन्हैया भजन सुनाएं,
बाबा ये तेरी किरपा चाहे,
बाबा ये तेरी किरपा चाहे,
इनके नाम के दीपक जलते हैं,
इनके नाम के दीपक जलते हैं,
हम तो बाबा के भरोसे चलते हैं।
हम तो बाबा के भरोसे चलते हैं,
ये दुनियाँ वाले जलते हैं,
हम तो बाबा के भरोसे चलते हैं।
Ham To Baaba Ke Bharose Chalate Hain,
Ye Duniyaan Vaale Jalate Hain,
Ham To Baaba Ke Bharose Chalate Hain.
Baaba Ne Hamako Chalana Sikhaaya,
Baaba Ne Hamako Chalana Sikhaaya,
Sab Bhakton Se Milana Sikhaaya,
Sab Bhakto Se Milana Sikhaaya,
Ham To Sina Taan Nikalate Hai,
Ham To Sina Taan Nikalate Hain,
Ham To Baaba Ke Bharose Chalate Hain.
Baaba Hamaara Saathi Kahaen,
Baaba Hamaara Saathi Kahae,
Ban Ke Sahaara Naati Kahae,
Ban Ke Sahaara Naati Kahaen,
Ham To Inake Bharose Palate Hain,
Ham To Inake Bharose Palate Hai,
Ham To Baaba Ke Bharose Chalate Hain.
Duniyaan Vaale Kya Pahachaane,
Duniya Vaale Kya Pahachaanen,
Shyaam Hamaare Dil Ki Jaane,
Shyaam Hamaare Dil Ki Jaane,
Inake Naam Se Sankat Talate Hain,
Inake Naam Se Sankat Talate Hai,
Ham To Baaba Ke Bharose Chalate Hain.
Daas Kanhaiya Bhajan Sunae,
Daas Kanhaiya Bhajan Sunaen,
Baaba Ye Teri Kirapa Chaahe,
Baaba Ye Teri Kirapa Chaahe,
Inake Naam Ke Dipak Jalate Hain,
Inake Naam Ke Dipak Jalate Hain,
Ham To Baaba Ke Bharose Chalate Hain.
Ham To Baaba Ke Bharose Chalate Hain,
Ye Duniyaan Vaale Jalate Hain,
Ham To Baaba Ke Bharose Chalate Hain.
और मनमोहक भजन :-
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जब जब मेरा मन घबराता,
मुझे कुछ भी समझ नहीं आता,
अपनों को ना मैं सुहाता,
मैं उन पे बोझ बन जाता,
ये आता है, श्याम मेरा आता है,
आके मुझें गले लगाता है,
जीवन की ये बगियाँ,
मेरे श्याम ने ही है ख़िलाई,
हर सुख दुख में मुझको,
पड़ता यही दिखाई,
सुख बढ़ चढ़ साथ निभाता,
दुःख द्वार खड़ा रह जाता,
मेरा श्याम खड़ा मुस्काता,
मैं झूम झूम कर गाता,
ये आता है श्याम मेरा आता है,
आके मुझे गले लगाता है,
जिसको ना हो भरोसा,
वो करके भरोसा देखे,
उसकी नाव ना डूबे,
उसे श्याम ही आकर खेते,
झट नाव किनारे लगती,
हर उलझी गाँठ सुलझती,
फिर बात कभी ना बिगड़ती,
बिगड़ी किस्मत भी सँवरती,
ये आता है श्याम मेरा आता है,
आके मुझे गले लगाता है
कलयुग इनका प्यारे,
तू भी इनका हो जा,
सौंप के इनको नैयाँ,
इनकी शरण में हो जा,
आनंद ऐसा आएगा,
तू कभी ना भरमाएगा,
पाकर के श्याम की मस्ती,
तू झूम झूम गाएगा,
ये आता है श्याम मेरा आता है,
आके मुझे गले लगाता है,
जब जब मेरा मन घबराता,
मुझे कुछ भी समझ नहीं आता,
अपनों को ना मैं सुहाता,
मैं उनपे बोझ बन जाता,
ये आता है श्याम मेरा आता है,
आके मुझे गले लगाता है,
और मनमोहक भजन :-
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श्याम थारी चौखट पे,
आया हूँ मैं हार के,
लायक बना ल्यो म्हानें,
थारे दरबार के,
श्याम थारी चौखट पे,
आया हूँ मैं हार के।
हारयोड़ा को साथी थाने,
दुनियाँ बतावे है,
देख लो अठीने कानी,
लाज म्हारी जावे है,
कद स्यूं खड़यो हूँ बाबा,
कद स्यूं खड़यो हूँ बाबा,
हाथ पसार के,
लायक बना ल्यो म्हाने,
थारे दरबार के।।
थक सो गयो हूँ बाबा,
जग के झमेले में,
जियो घबरावे म्हारों,
सोच के अकेले में,
कालजे लगा लो इब थे,
कालजे लगा लो इब थे,
अवगुण विसार के,
लायक बना ल्यो म्हाने,
थारे दरबार के।।
सुख में तो जग यो सारो,
साथ निभावे है,
पण दुखड़े में कोई,
नेड़े नही आवे है,
डगमग है नैया म्हारीं,
डगमग है नैया म्हारीं,
बिना पतवार के,
लायक बना ल्यो म्हाने,
थारे दरबार के।।
थारो साथ पा के मैं भी,
जीनो सीख जाऊँगा,
थे भी ठुकरा दोगा तो,
जी नहीं पाऊंगा,
हार के आयो है बिन्नू,
हार के आयो है बिन्नू,
द्वारे सरकार के,
लायक बना ल्यो म्हाने,
थारें दरबार के।
श्याम थारी चौखट पे,
आया हूँ मैं हार के,
लायक बना ल्यो म्हानें,
थारे दरबार के,
श्याम थारी चौखट पे,
आया हूँ मैं हार के।
Shyaam Thaaree Chaukhat Pe,
Aaya Hoon Main Haar Ke,
Laayak Bana Lyo Mhaanen,
Thaare Darabaar Ke,
Shyaam Thaaree Chaukhat Pe,
Aaya Hoon Main Haar Ke.
Haarayoda Ko Saathee Thaane,
Duniyaan Bataave Hai,
Dekh Lo Atheene Kaanee,
Laaj Mhaaree Jaave Hai,
Kad Syoon Khadayo Hoon Baaba,
Kad Syoon Khadayo Hoon Baaba,
Haath Pasaar Ke,
Laayak Bana Lyo Mhaane,
Thaare Darabaar Ke..
Thak So Gayo Hoon Baaba,
Jag Ke Jhamele Mein,
Jiyo Ghabaraave Mhaaron,
Soch Ke Akele Mein,
Kaalaje Laga Lo Ib The,
Kaalaje Laga Lo Ib The,
Avagun Visaar Ke,
Laayak Bana Lyo Mhaane,
Thaare Darabaar Ke..
Sukh Mein To Jag Yo Saaro,
Saath Nibhaave Hai,
Pan Dukhade Mein Koee,
Nede Nahee Aave Hai,
Dagamag Hai Naiya Mhaareen,
Dagamag Hai Naiya Mhaareen,
Bina Patavaar Ke,
Laayak Bana Lyo Mhaane,
Thaare Darabaar Ke..
Thaaro Saath Pa Ke Main Bhee,
Jeeno Seekh Jaoonga,
The Bhee Thukara Doga To,
Jee Nahin Paoonga,
Haar Ke Aayo Hai Binnoo,
Haar Ke Aayo Hai Binnoo,
Dvaare Sarakaar Ke,
Laayak Bana Lyo Mhaane,
Thaaren Darabaar Ke.
Shyaam Thaaree Chaukhat Pe,
Aaya Hoon Main Haar Ke,
Laayak Bana Lyo Mhaanen,
Thaare Darabaar Ke,
Shyaam Thaaree Chaukhat Pe,
Aaya Hoon Main Haar Ke.
और मनमोहक भजन :-
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बाबा ये नैया कैसे, डगमग डोली जाएँ,
बिन माझी पतवार के इसको, तू ही पार लगाए,
बाबा ये नैया कैसे, डगमग डोली जाएँ,
दूर दूर नहीं दिखे किनारा, लहरे भी बिसराएँ,
बादल भी है गरज रहे और, मुझको रहे डराए,
जब कि मैं ये सोच रहा हूँ, अब आए तब आए,
बाबा ये नैयाँ कैसे, डगमग डोली जाए,
बिन माझी पतवार के इसको, तू ही पार लगाए,
बाबा ये नैयाँ कैसे, डगमग डोली जाएँ,
दुनिया है इक रंग मंच और, तू इसका निर्देशक,
तू ही बनाए तू ही मिटाए, तू ही इसका विशेषज्ञ,
फिर क्यों ये तेरे हाथ के पुतले, मुझको आँख दिखाए,
बाबा ये नईया कैसे, डगमग डोली जाए,
बिन माझी पतवार के इसको, तू ही पार लगाए,
बाबा ये नैया कैसे, डगमग डोली जाएँ,
तुझको ही मैं समझूँ अपना, बाकी सब है पराए,
तेरे हाथों सबकुछ सम्भव, तू ही लाज बचाए,
कर दे एक इशारा नैया, पार मेरी हो जाए,
बाबा ये नैयाँ कैसे, डगमग डोली जाए,
बिन माझी पतवार के इसको, तू ही पार लगाए,
बाबा ये नैया कैसे, डगमग डोली जाएँ,
तीन बाण तरकश में तेरे, चले तो ना रुक पाएँ,
भेदे तू पत्तो की तरह फिर, कोई भी ना बच पाए,
भेदो तुम ‘निर्मल’ की विपदा, पास मेरे ना आएं,
बाबा ये नईया कैसे, डगमग डोली जाए,
बिन माझी पतवार के इसको, तू ही पार लगाए,
बाबा ये नैया कैसे, डगमग डोली जाए,
बाबा ये नैया कैसे, डगमग डोली जाए,
बिन माझी पतवार के इसको, तू ही पार लगाए,
बाबा ये नैया कैसे, डगमग डोली जाएँ,
और मनमोहक भजन :-
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थारे नाम सूं बाबा,
पहचान है म्हारी
थारे नाम को, जोर है,
थारे नाम सु चालें,
ये गाडली म्हारी
दुनिया में शोर है,
श्याम थारो नाम,
श्याम थारो नाम ,
लागे भकतो ने प्यारो है।
श्याम थारो नाम,
म्हारे जीने को सहारो है,
श्याम थारो नाम,
श्याम थारो नाम ,
लागे भकतो ने प्यारो है।
थारो नाम लेता ही,
लागे है जु म्हाने,
कि थे हो सामने,
कितनो ही बड़ो हो काम,
थारो नाम कर देवै,
छोटो सो काम नै,
म्हारो तो बाबा,
म्हारो तो बाबा,
थारे नाम सु गुज़ारो है,
म्हारे जीने को सहारो है,
श्याम थारो नाम,
लागे भकतो ने प्यारो है।
जद से लियो थारो नाम,
बनने लग्या है काम,
कि इब तो मौज़ है,
खुशियां ही खुशियां है ,
इ जिंदगानी मे,
की मस्ती रोज़ है,
श्याम थारो नाम,
श्याम थारो नाम म्हारे,
जीवन को रखवारो है,
म्हारे जीने को सहारो है,
श्याम थारो नाम,
श्याम थारो नाम ,
लागे भकतो ने प्यारो है।
थारे नाम सु जीती,
हारी हुई बाजी,
थारो नाम ही काफी है,
कितनो ही बड़ो पापी,
लेवे जो नाम थारो,
मिलजावै माफ़ी है,
थारे नाम सु बाबा,
थारे नाम सु बाबा,
म्हारे जीवन में उजियारो है,
नाम सु बाबा,
श्याम थारो नाम,
श्याम थारो नाम ,
लागे भकतो ने प्यारो है।
Thaare Naam Sun Baaba,
Pahachaan Hai Mhaari
Thaare Naam Ko, Jor Hai,
Thaare Naam Su Chaalen,
Ye Gaadali Mhaari
Duniya Mein Shor Hai,
Shyaam Thaaro Naam,
Shyaam Thaaro Naam ,
Laage Bhakato Ne Pyaaro Hai.
Shyaam Thaaro Naam,
Mhaare Jine Ko Sahaaro Hai,
Shyaam Thaaro Naam,
Shyaam Thaaro Naam ,
Laage Bhakato Ne Pyaaro Hai.
Thaaro Naam Leta Hi,
Laage Hai Ju Mhaane,
Ki The Ho Saamane,
Kitano Hi Bado Ho Kaam,
Thaaro Naam Kar Devai,
Chhoto So Kaam Nai,
Mhaaro To Baaba,
Mhaaro To Baaba,
Thaare Naam Su Guzaaro Hai,
Mhaare Jine Ko Sahaaro Hai,
Shyaam Thaaro Naam,
Laage Bhakato Ne Pyaaro Hai.
Jad Se Liyo Thaaro Naam,
Banane Lagya Hai Kaam,
Ki Ib To Mauz Hai,
Khushiyaan Hi Khushiyaan Hai ,
I Jindagaani Me,
Ki Masti Roz Hai,
Shyaam Thaaro Naam,
Shyaam Thaaro Naam Mhaare,
Jivan Ko Rakhavaaro Hai,
Mhaare Jine Ko Sahaaro Hai,
Shyaam Thaaro Naam,
Shyaam Thaaro Naam ,
Laage Bhakato Ne Pyaaro Hai.
Thaare Naam Su Jiti,
Haari Hui Baaji,
Thaaro Naam Hi Kaaphi Hai,
Kitano Hi Bado Paapi,
Leve Jo Naam Thaaro,
Milajaavai Maafi Hai,
Thaare Naam Su Baaba,
Thaare Naam Su Baaba,
Mhaare Jivan Mein Ujiyaaro Hai,
Naam Su Baaba,
Shyaam Thaaro Naam,
Shyaam Thaaro Naam ,
Laage Bhakato Ne Pyaaro Hai.
और मनमोहक भजन :-
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ओ सांवरे ओ सांवरे,
ओ सांवरे ओ सांवरे,
तरेगी नैया बिना माझी के,
जो तू साथ है मेरे,
डुबेगी नैया भी किनारे पे,
जो तू साथ ना मेरे,
ओ सांवरे ओ साँवरे,
ओ सांवरे ओ सांवरे।।
जब तुझसा हो माझी,
काहे की फिकर करूँ,
तेरे रहते मैं बाबा,
क्यूँ तूफ़ानो से डरूँ,
ओ सांवरे ओ साँवरे,
ओ सांवरे ओ सांवरे,
मिलेगी मंज़िल मेरी नैय्या को,
जो तू साथ है मेरे,
ओ सांवरे ओ साँवरे,
ओ सांवरे ओ सांवरे।।
मैं नाम तेरा लेकर,
मंज़िल को हूँ बढ़ता,
चाहे घोर अंधेरा हो,
बाबा नही मैं डरता,
ओ सांवरे ओ साँवरे,
ओ सांवरे ओ साँवरे,
मिलेगी ज्योति भी अंधेरो में,
जो तू साथ है मेरे,
ओ सांवरे ओ साँवरे,
ओ सांवरे ओ सांवरे।।
मुझे सारी खुशियां तो,
तेरे दर से मिलती है,
हर ग़लती की माफी,
मुझे तुझसे मिलती है,
ओ सांवरे ओ साँवरे,
ओ सांवरे ओ साँवरे,
‘कमल’ सताए,
दुख ना जीवन में,
जो तू साथ है मेरे,
ओ सांवरे ओ साँवरे,
ओ सांवरे ओ सांवरे।।
ओ सांवरे ओ सांवरे,
ओ सांवरे ओ सांवरे,
तरेगी नैया बिना माझी के,
जो तू साथ है मेरे,
डुबेगी नैया भी किनारे पे,
जो तू साथ ना मेरे,
ओ सांवरे ओ साँवरे,
ओ सांवरे ओ सांवरे।।
और मनमोहक भजन :-
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सांसो का बनाके हार बाबा को चढ़ा दे,
भावो का पिरोके हार बाबा को चढ़ा दे,
सांसो का ठिकाना क्या है धोखा दे जाए गी,
एक पल आये दूजे पल रुक जाएगी,
तेरी सांसो का उपहार बाबा को चढ़ा दे,
सांसो का बनाके हार बाबा को चढ़ा दे,
जिसने ये बक्शी ये सांसे उसके ही नाम कर,
परलोक का भी प्यारे थोड़ा इंतजाम कर,
हो जाये गा भव पार बाबा को चढ़ा दे,
सांसो का बनाके हार बाबा को चढ़ा दे,
किस ने गिनी है सांसे कितनी आएगी,
एक साँस बन्दे तुझको श्याम से मिलाये गी,
यह हर्ष तेरे उदगार बाबा को चढ़ा दे,
सांसो का बनाके हार बाबा को चढ़ा दे,
Saanso Ka Banaake Haar Baaba Ko Chadha De,
Bhaavo Ka Piroke Haar Baaba Ko Chadha De,
Saanso Ka Thikaana Kya Hai Dhokha De Jae Gee,
Ek Pal Aaye Dooje Pal Ruk Jaegee,
Teree Saanso Ka Upahaar Baaba Ko Chadha De,
Saanso Ka Banaake Haar Baaba Ko Chadha De,
Jisane Ye Bakshee Ye Saanse Usake Hee Naam Kar,
Paralok Ka Bhee Pyaare Thoda Intajaam Kar,
Ho Jaaye Ga Bhav Paar Baaba Ko Chadha De,
Saanso Ka Banaake Haar Baaba Ko Chadha De,
Kis Ne Ginee Hai Saanse Kitanee Aaegee,
Ek Saans Bande Tujhako Shyaam Se Milaaye Gee,
Yah Harsh Tere Udagaar Baaba Ko Chadha De,
Saanso Ka Banaake Haar Baaba Ko Chadha De,
और मनमोहक भजन :-
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