राम कुमार लक्खा का जीवन परिचय |
इनका जन्म 7 अगस्त 1983 को उत्तरप्रदेश के जिला गौतमबुद्धनगर में गाँव अहमदपुर में हुआ था. इनके पिता श्री ब्रह्मपाल सिंह जन्मेदा और माता मति रेशम देवी है. राम कुमार लक्खा जी को गायन का शोक बचपन से ही था, उन्होंने कक्षा 3 से ही अपने स्कूल के वार्षिक प्रोग्राम में गाना शुरू कर दिया था. इतनी छोटी उम्र होने के बावजूद राम कुमार जी भजन को एक निपुण भजन गायक की तरह गाते थे.
रामकुमार जी बताते है कि, वे इस छोटी सी कक्षा में होने के बावजूद बहुत सारे स्कूलों की गायन प्रतिस्पर्धा में अपने स्कूल की तरफ से हिस्सा लेते थे, और ढेर सरे अवार्ड अपने साथ लाते थे. राम कुमार जी की इस कला के दीवाने, उनके घरवालो के अलावा स्कूल के शिक्षक भी दीवाने थे. इसीलिए उभे उन्हें उनके परिवार और स्कूल के शिक्षक की तरफ से बहुत सपोर्ट मिलता था.
रामकुमार जी शिक्षा और दीक्षा |
इनके दादा जी भी बड़ी अच्छी चौपाईयां गाते थे, और कही न कहीं राम कुमार जी ने भी अपने दादा जी से प्रेरणा लेकर ही संगीत की दुनियां में अपना कदम रखा था. इनका संगीतमय जीवन स्कूल के समय से ही शुरू हो चूका था और तब से ही अपने मधूर स्वर का जादू लोगो के दिल पर चला रहे है.
रामकुमार जी ने अपनी शुरुआती शिक्षा अपने गृह नगर के ही स्कूल श्रीराम मॉडल इंटर कॉलेज से शुरू की थी, वहीँ के एक शिक्षक थे ‘प्रहलाद जी शर्मा’, जो रामकुमार जी लक्खा को रोज एक घंटा संगीत की शिक्षा भी दिया करते थे. प्रहलाद जी शर्मा, राजकुमार जी का संगीत में बहुत सहयोग किया करते थे और उन्हीं की प्रेरणा से राजकुमार जी संगीत के सफ़र में अग्रसर हुए. करीब कक्षा 6 तक उन्होंने अपनी शिक्षा प्रहलाद जी शर्मा से ली, उसके रामकुमार जी दिल्ली आ गये और कक्षा 7 में उन्होंने दाखिला लिया.
रामकुमार जी संगीत करियर |
दिल्ली में शिक्षा लेने के बाद शुरू हुआ रामकुमार जी का भजन सम्राट रामकुमार लक्खा बनने का सफ़र. शुरुआत में, वह हरियाणवी भाषा में भजन गाते थे, फिर इनकी मुलाकात करम पाल सिंह जी से हुई, इनके जरिये रामकुमार जी को बहुत जगह पर अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिला.
इन्ही अवसरों के चलते रामकुमार जी की मुलाकात एक संगीत के बेहतरीन मास्टर से हुई, जिनका नाम मास्टर भरम पाल सिंह है. उनके साथ उन्होंने नॉएडा में 12 साल संगीत की शिक्षा ली. मास्टर भरम पाल सिंह ने उन्हें अपने बेटे की तरह सिखाया, पढ़ाया और आगे बढ़ाया. अब तक रामकुमार जी लक्खा हजारों भजन गा चुके है, और महीने में कम से कम 25 प्रोग्राम उनके पास हमेशा होते है. यानी आज उनकी छवि इतनी ऊँची हो चुकी है कि, उनका समय मिलना भी काफी मुश्किल होता है.
रामकुमार जी लक्खा को मिले अवार्ड |
वे खुद बताते है कि, बचपन में जब वे किसी प्रतिस्पर्धा में जाते थे तो उन्हें ढ़ेरो अवार्ड से सम्मानित किया जाता था, और हाल ये है कि रामकुमार जी के घर में अवार्ड रखने की भी जगह नहीं है, इतने अवार्ड मिल चुके है उन्हें.