पापांकुशा एकादशी की व्रत विधि
1. पापांकुशा एकादशी (Papankusha Ekadashi) व्रत एक दिन पहले दशमी तिथि वाले दिन सूर्योदय से पहले भोजन ग्रहण कर लें।
2. दशमी तिथि पर सात धान्य अर्थात गेहूं, उड़द, मूंग, चना, जौ, चावल और मसूर की दाल नहीं खाएं।
3. दशमी तिथि वाले दिन रात को भोजन न करें ताकि एकादशी वाले दिन आपके पेट में अन्न का एक भी अंश न रहे।
4. दशमी तिथि और एकादशी तिथि को जितना कम हो सके उतना कम बोलें।
5. मांसाहारी भोजन न करें और ब्रह्मचर्य का पालन करें।
6. पापांकुशा एकादशी (Papankusha Ekadashi) का व्रत निर्जला या फिर थोड़े फलाहार के साथ इस व्रत को कर सकते हैं।
7. इस दिन अन्न का सेवन न करें।
8. एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें।
9. तत्पश्चात साफ स्वच्छ कपडे पहनकर व्रत का संकल्प लें।
10. फिर सूर्यदेव को अर्घ्य दें।
11. एक साफ आसन या पटरी लें और उस पर स्वच्छ पीला या लाल कपड़ा बिछाएं।
12. भगवान की तस्वीर और कलश को स्थापित करें।
13. विधि – विधान से पूजा करके विष्णु जी के सहस्रनाम का पाठ करें।
14. शाम के समय पूजा करने के बाद व्रत कथा सुने।
15. भगवान विष्णु का भजन करें।
16. फिर द्वादशी तिथि के दिन ब्राह्मणों को भोजन करवाएं और सामर्थ्य अनुसार दक्षिणा दें।
17. अंत में आप भोजन करें।
पापांकुशा एकादशी की पारण विधि
पारण का अर्थ है व्रत तोड़ना। द्वादशी तिथि समाप्त होने के भीतर ही पारण करें। द्वादशी में पारण न करना अपराध के समान है। व्रत तोड़ने से पहले हरि वासरा के खत्म होने का इंतजार करें, हरि वासरा के दौरान पारण नहीं करना चाहिए। मध्याह्न के दौरान व्रत तोड़ने से बचें। व्रत तोड़ने का समय प्रात:काल है। किसी कारणवश प्रात:काल के दौरान व्रत नहीं तोड़ पाते हैं तो मध्याह्न के बाद व्रत खत्म करें।