इंदिरा एकादशी (Indira Ekadashi) की व्रत विधि
1. इंदिरा एकादशी (Indira Ekadashi) के दिन दैनिक कार्यों से मुक्त होकर सुबह स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
2. भगवान विष्णु के शालिग्राम स्वरूप का ध्यान करके व्रत का संकल्प लें।
3. एक चौकी लें. उस पर पीले रंग का कपड़ा बिछाएं।
4. कुमकुम से कपड़े पर स्वास्तिक बनाएं।
5. भगवान गणेश को प्रणाम कर “ओम गणेशाय नमः” का जप करते हुए स्वास्तिक पर फूल और चावल चढ़ाएं।
6. शुभ मुहूर्त में पूजा स्थल पर शालिग्राम या भगवान विष्णु की तस्वीर स्थापित करें।
7. गंगाजल से नहलाकर रोली, चंदन, अक्षत, धूप, दीप, मिठाई आदि अर्पित करें।
8. दीपक जलाकर, पीले फूलों की माला अर्पित करें।
9. तुलसी का पत्ता जरूर चढ़ाएं।
10. पूजा अर्चना करें।
11. विष्णु जी के सहस्त्र नामों का पाठ करें।
12. आरती करने के बाद भगवान को भोग लगाएं।
13. शाम की आरती करके तुलसी जी के सामने दीपक जरूर जलाएं।
14. इंदिरा एकादशी व्रत की कथा सुनें।
15. उसके बाद भगवान विष्णु की आरती करें।
16. अंत में पितरों को यमलोक से मुक्ति और बैकुंठ धाम गमन के लिए भगवान विष्णु से प्रार्थना करें।
17. पितरों द्वारा किये गए गलत कर्मों की क्षमा याचना मांगें।
18. पितरों के नाम से श्राद्ध करके ब्राह्मणो को भोजन करवाएं और दक्षिणा दें।
19. द्वादशी के दिन निर्धारित समय में पारण करें।
20. दिन में फलाहार और रात्रि में जागरण करें।
इंदिरा एकादशी (Indira Ekadashi) की पारण विधि
पारण का अर्थ है व्रत तोड़ना। द्वादशी तिथि समाप्त होने के भीतर ही पारण करें। द्वादशी में पारण न करना अपराध के समान है। व्रत तोड़ने से पहले हरि वासरा के खत्म होने का इंतजार करें, हरि वासरा के दौरान पारण नहीं करना चाहिए। मध्याह्न के दौरान व्रत तोड़ने से बचें। व्रत तोड़ने का समय प्रात:काल है। किसी कारणवश प्रात:काल के दौरान व्रत नहीं तोड़ पाते हैं तो मध्याह्न के बाद व्रत ख़तम करें।